EP 13- ओ मेरे माझी! अब की बार Podcast Por  arte de portada

EP 13- ओ मेरे माझी! अब की बार

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भावनाओं की, अहसासों की गठरी थी। सपनों का बड़ा सा डब्बा था। जिसे मैंने खूब संभाल कर रखा था। इच्छाओं, ख्वाहिशों की पोटलियाँ थी। कोई माँझी बचपन ले गया। कोई जवानी माँग बैठा। कोई मन तो कोई तन, कोई मुस्कान छीन ले गया, कोई होश, कोई हंसी, कोई ख़ुशी, कोई पहचान, कोई अरमान… अब तो […]
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