किताब, किस्से और कहानियाँ I Kitab, Kisse aur Kahaniyan Podcast Por Keshav Chaturvedi arte de portada

किताब, किस्से और कहानियाँ I Kitab, Kisse aur Kahaniyan

किताब, किस्से और कहानियाँ I Kitab, Kisse aur Kahaniyan

De: Keshav Chaturvedi
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Acerca de esta escucha

इस पॉडकास्ट की कोशिश है कि पुस्तकों, लेखकों और इन दोनों से जुड़ी कहानियों को श्रोताओं तक लाया जाए। हर सप्ताह आप एक नई किताब और उसके लेखक से बस इतना ही परिचित होंगे की उन्हें और जानने की ललक आप में जागेगी। इस सारी कवायद का एक ही उद्देश्य है कि किताब के बारे में कुछ किस्से सुना कर श्रोता को पाठक बनने के लिए प्रेरित किया जाए ।This podcast is all about books, writers and stories related to both. Every week this podcast will introduce you to a new book, give you a glimpse of what it's all about and a small introduction about its author. The idea is to inspire the listener to become a reader.Keshav Chaturvedi Arte Historia y Crítica Literaria
Episodios
  • किताब किस्से और कहानियाँ: मैन 'स सर्च फॉर मीनिंग। kitab, kisse aur kahaniyan: Man's search for meaning
    Nov 19 2023

    विकटर फ्रैंकल, एक मनोवैज्ञानिक थे और साथ ही यहूदी भी।  द्वितीय विश्व युद्ध में उन्हें नात्सियों ने यातना गृह में रखा और वहां के अनुभव ने विकटर के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।  यातना गृह से मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने उन्हें निकाला और उसके बाद उन्होंने युद्ध या ऐसी ही किसी त्रासदी से जूझ रहे व्यक्तियों को जीवन में मायने खोजने की प्रेरणा दी ताकि वे जीवन को एक नए सिरे से जी सकें। मैंन'स सर्च फॉर मीनिंग में उनके व्यक्तिगत अनुभवों और  उनके द्वारा विकसित की गई मनोचिकित्सा की नई विधि दोनों पर ही विस्तृत चर्चा की गई है।  ये पुस्तक हर उस व्यक्ति को पढ़नी चाहिए जिसे अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए काम करना है और युद्ध की विभीषिका से कुछ सीखना है।   

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    28 m
  • किताब किस्से और कहानियाँ: रेवोलुशनरीज़ (क्रांतिकारी)। kitab, kisse aur kahaniyan: Revolutionaries
    Nov 7 2023

    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को अक्सर हम अहिंसक मानते हैं।  लेकिन ऐसा है नहीं। स्वतंत्रता संग्राम में सन 1857 से लेकर 1946 तक के 89 वर्षों में अनेक ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के लिए हिंसक रास्ते अपनाए उसकी तैयारी की, हथियार जुटाए और उन्हें अंजाम भी दिया। उनकी ज़्यादातर कोशिशें नाकाम हुईं।  मुखबिरों और विश्वासघातियों के कारण वे हज़ारों बार छले गए। धन और आम जनता के असहयोग और उदासीनता के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। चूँकि उन्होंने हथियार उठाए और अक्सर विफल रहे इसलिए उनकी मृत्यु निश्चित हो गई। स्वतंत्रता मिलने तक करीब करीब सभी हिंसक क्रांतिकारी और सेना से विद्रोह करके आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होने वाले और नौसेना में विद्रोह करने वाले नौसैनिक थक कर टूट चुके थे। उनकी अनुपस्थिति या अप्रासंगिकता के कारण उनकी कहानी अनकही ही रह गई। उसी अनकही कहानी को संजीव सान्याल ने सुव्यवस्थित तरीके से बताने की कोशिश की है। उनका कहना है की हमारे मानसपटल पर ये बात छाप दी गई है की हमें आज़ादी अहिंसक तरीके से मिली और ये हिंसक क्रांतिकारी इस कहानी में क्षेपक की तरह कभी कभी छिटपुट घटनाएं करते रहते थे।  लेकिन ये सत्य नहीं है।  हिंसक क्रांति का इतिहास भी बहुत समृद्ध है और उसकी परिकल्पना, उसकी विचारधारा और अंत में उसके क्रियान्वयन में गहरा तालमेल है जो दशकों तक बड़े संगठित रूप से चला है।   

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    23 m
  • किताब किस्से और कहानियाँ: 48 लॉज़ ऑफ़ पावर। kitab, kisse aur kahaniyan: 48 Laws of Power
    Oct 29 2023


    दुनिया में शक्ति की कामना सबको है लेकिन वैशाली की नगरवधू की तरह वो रहती हमेशा शक्तिशाली लोगों के हाथ में है।  एक आम आदमी उसे पाने को तरसता है और कुछ लोगों को वो सहज ही प्राप्त हो जाती है। किसी कार्यालय, समाज, परिवार या दो व्यक्तियों के बीच में कोई एक ज़्यादा प्रभावशाली होता है और उसका प्रभुत्व ज़्यादा होता है।  लेकिन ऐसा क्या जादू है कुछ लोगों में जो हमेशा शक्ति के शीर्ष पर रहते हैं। 48 लॉज़ ऑफ़ पावर यानी शक्ति के 48 सिद्धांत में इसी रहस्य से पर्दा उठाया गया है। इसके लेखक रॉबर्ट ग्रीन कहते हैं की शक्ति के सिद्धांतों को आम आदमी को समझना चाहिए क्योंकि जो इसके शिखर पर हैं वो तो स्वतः ही इसे जानते हैं और इसके निष्णात खिलाड़ी हैं। लेकिन हमें इन सिद्धांतों के बारे में इसलिए जानना चाहिए ताकि हम उन लोगों के चंगुल से खुद को आज़ाद रख सकें जो हमारे समय, संसाधन, भावनाओं और ऊर्जा को चूस कर अपना उल्लू सीधा करते हैं।  

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    17 m
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